Tuesday, June 5, 2012

!! सोई नही तू रात भर !!

तूने वो अहसास लिख दिया,
जैसे सोई नही तू रात भर,

कोई साथ था तेरे,
कोई पास था तेरे,

आलिंगन मे तू थी उसके,
तेरे अधरो पे अधर थे जिसके,

तेरी आँखो मे खूब नशा था,
नशे मे डूबा वो पड़ा था,

होश मे उसको आने ना दिया,
आया जब होश उसे,

फिर से पिला दी तूने........
अपने अधरो की मादक मदिरा,

रात भर तू पिलाती रही,
रात भर वो..........
घूँट पे घूँट बस भरता रहा,

वो जब जाने को था,
तुमने कुछ ऐसा कहा,



अभी ना जाओ छोड़ कर,
के दिल अभी..भरा नही!!


__©कवि दीपक दीप__


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!! के तू है कहाँ !!

ये आँखे, आज भी,
तेरी आँख को तरसे,

ये साँसे, आज भी,
तेरी ही सांस को तडपे,

पूछे हर पल,
हर दिल से ये दिल,

के तू है कहाँ,
के तू है जहाँ,

महसूस कर....
मेरी हर आहट वहाँ,

तेरे माथे आई क्या,
मेरे अधरो की छुवन वहाँ!!


_कवि दीपक दीप_
_© Copy Right ║█║│█║█║█║║█║█║║




 




!! सुंदर चित्रण !!

मुख मुस्कान छाई,
अधरो पे है सुर्खी लगाई,

नैनन मे है काला कज़रा,
गैसु मे है चमेली गज़रा,

ज़ुल्फो की लटा लहराए,
आँचल तेरा उड़ता जाए,

छम छम छमा छम....
होले से तेरी पायल,

रागिनी मधुर सुनाए,
माथे सजी सितारा बिंदिया,

लचक लचकती पतली कमरिया,
मुझे हर बार है ललचाए,

तू है आकर्षण से भरी,
तू है अहसासो से भरी,

तू है मुझे तड़पाती,
मुझे क्यूँ पास बुलाती,

ना जाने क्यूँ मुझे छेड़ जाती,
अचानक से........................

फिर भाग क्यूँ जाती,
दूरखड़ी हो कर नैना मतकती,

मध्म मध्म मुस्काती जाती,
मेरी तड़पन और बढ़ाती जाती,

सुंदर चित्रण की कल्पना,
मेरे शब्दो मे तू आती जाती!!
©कवि दीपक दीप_
© Copy Right ║█║│█║█║█║║█║█║║ 




!! शबाबी अदा !!

आईना टूट जाएगा,

देख तेरी शबाबी अदा,

यूँ ना देख हमे,

अपनी नशीले नज़रो से,

गर जो हम पी गये,

तेरी अधरो का जाम,

होश मे ना तू होंगी,

होश मे ना हम होंगे!

_कवि दीपक दीप__

© Copy Right ║█║│█║█║█║║█║█║║





!! सिर्फ़ दिल !!

कुछ तो खास है,
कुछ तो बात है,

सिर्फ़ दिल ही है,
यही अपना सा है,

दिल बड़ा सच्चा है,
दिल एक बच्चा है,

सिर्फ़ दिल ही उमंग है,
दिल ही तो तरंग है,

दिल जो अपना तुम्हारा है,
कहो तो वो भी हमारा है,

दिल चाहत से भरा है,
सिर्फ़ दिल ही तो....

मासूम मोहब्बत से भरा है,
सिर्फ़ समंदर सा बड़ा है,

दिल हमारा सज़ा खड़ा है,
यही तो एक अहसास है,

दिल से महको तुम,
दिल से चहको तुम,

दिल का अंदाज निराला,
दिल गीत है,

दिल ग़ज़ल है,
दिल कलम है,

दिल से दिल के लीये,
दिल से लिखे शब्द,
दिल से लिखे शब्द!!

__कवि दीपक दीप (दीपक पांचाल)__
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!! झरने की बौछार..तुम्हारा प्यार !!

ठंडे झरने की बौछार.....

उसके बीच बसता तुम्हारा प्यार,

यूँ जताया इतना प्यार,

हाथो मे हाथ थाम,

झरने के नीचे जाती हो,

कभी पास बुलाकर,

अनलिंगन मे ले जाती हो,

बस झरने मे भीगती जाती हो,

कितना अपनापन दे जाती हो,

भीगे मेरे सिर को,

तोलिये से पूछती जाती हो,

चाय पकोडे चटनी साथ खाकर

घर आकर.....

हमे बहुत याद दिला जाती हो!!

_कवि दीपक दीप (दीपक पांचाल)_

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Friday, March 16, 2012

!! आने से तुम्हारे !!

सनसनी सी फैल गयी,
आने से तुम्हारे,

मेरे लबों की जैसे,
मुस्कान लौट हो आई,
केवल आने से तुम्हारे,

नन्ही ऑश हो तुम,
गुलाब की पंखुड़ी पे देखा मैने,
जैसे शर्मयी हुई हो तुम बैठी,

वर्षा की बूँद हो तुम,
गीली मिट्टी पे देखा मैने,
जैसे ये मादक महक तुमने हो फैलाईं,

रात की चाँदनी हो तुम,
गिरते हुए झरने पे देखा मैने,
जैसे चाँदी सामान बौछार तुमने हो फैलाईं,

शांत शीतल लहर हो तुम,
बहते हुए तुम्हे देखा मैने,
जैसे अपनी छुवन से सारी सिरहन तुमने हो फैलाईं,

मेरी शायरी हो तुम,
शब्दो के साथ तुम्हे देखा मैने,
जैसे मेरी कल्पना के अहसास तुमने हो फैलाईं!!

_ © कवि दीपक दीप (दीपक पांचाल)_